Saturday, April 23, 2022

जहाँगीरपुरी और सुप्रीम कोर्ट

...तो आखिर मीलॉर्ड की कुंभकर्णी नींद टूट गयी। 
मैं सोच ही रहा था कि आधी रात को मीलॉर्ड को तकलीफ़ ना हो जाये।
देश के गद्दारों के खिलाफ कुछ भी होने पर मीलॉर्ड कुंभकर्णी नींद से जागकर अचानक निशाचर की तरह रात के अंधेरे में पूर्ण तन्मयता से वफादारी निभाते हैं।

थू है ऐसे न्यायतंत्र पर जहाँ लाखों  लंबित मामलों को निपटाने के समय मीलॉर्ड किसी पुरानी पैतृक समस्या से पीड़ित हो जाते हैं किंतु देशद्रोही घुसपैठियों के मामले प्राथमिकता में रखते हैं, जहाँ पौराणिक मठ-मंदिरों के तोड़े जाने के मामलों में सुनवाई के लिए समय नहीं होता किंतु अतिक्रमण के लिए सीधे आदेश दिये जाते हैं।

सुप्रीम कोर्ट ने जब अपने अधिकारों का अतिक्रमण कर कृषि कानूनों के अमल को रोका तो सड़कों पर अतिक्रमण करने वाले किसान नेताओं का दुस्साहस बढ़ा, फिर लाल किला कांड हुआ, लखबीर मारा गया ..और कथित किसान 13 महीने तक सड़कों पर डटे रहे।

खबर है कि जहाँगीरपुरी अतिक्रमण का केस जमीयत लड़ रही है। 
यह वही जमीयत उलेमा ए हिंद जिसने अहमदाबाद बम ब्लास्ट करने वाले आतंकवादियों का केस लड़ा था।
अहमदाबाद बम ब्लास्ट में 56 लोग मरे थे।
आज वही जमीयत उलेमा ए हिंद जहांगीरपुरी में अवैध अतिक्रमण हटाने के ख़िलाफ़ सुप्रीम कोर्ट में केस लड़ रही है ..केस की पैरवी कपिल सिब्बल कर रहे हैं।

प्रतीत होता है कि मीलॉर्ड को अतिक्रमणकारियों से कुछ विशेष ही लगाव है। क्या होता यदि ये मीलार्ड की बपौती (पैतृक) जमीन पर कब्जा किये होते? क्या तब भी मीलॉर्ड इतनी ही सहानुभूति दिखाते?
मीलॉर्ड इससे पहले कि इस भीड़तंत्र की आग दावानल बन आपके घर तक पहुँचे सचेत हो जाईये और कुछ फैसले देश के हित को ध्यान में रखकर भी दिया कीजिये।
और अगर इतनी ही आत्मीयता है इन अतिक्रमणकारियों से तो इन्हें अपनी बपौती जमीन में बसाईये।
और हाँ कड़वा सच सुनकर मुझपर अदालत की अवमानना का केस मत कर देना वामपंथियों के माई-बाप।

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