Thursday, March 28, 2024

हिरासत से सन्देश

मेराज फ़ैज़ाबादी साहब की एक बड़ी मशहूर ग़ज़ल है - "चराग़ अपनी थकन की कोई सफ़ाई न दे"
उसी की पैरोडी लिखने की कोशिश की है हालिया राजनीतिक घटनाक्रम को देखते हुए

प्रवर्तन निदेशालय की हिरासत से सड़जी कह रहे हैं -

     पेंचकस मेरी दारुनीति की कोई सफ़ाई ना दे
     वो तीरगी है कि कोई ख़्वाब तक दिखाई ना दे

     हिरासत में भी ना जागे गुनाह का एहसास
     मिरे वजूद को इतनी भी बेहयाई ना दे

     बहुत सताती है हर रात जो हिरासत में गुज़रती है
     खुदा किसी को भी ऐसी पुलिसिया ठुकाई ना दे

     मैं सारी उम्र तिहाड़ में ही काट सकता हूं
     मेरे ठेकों को मगर सप्लाई पराई ना दे

     अगर यही तिरी दुनिया का हाल है जज साहब
     तो मेरी क़ैद भली है मुझे रिहाई न दे

     मैं सत्तू हैंडसम और संजू संग नीचे ही लेट जाऊंगा
     तिहाड़ में मुझ कट्टर ईमानदार को चारपाई ना दे

     दुआ ये मांगी है सहमे हुए मुख्यमंत्री ने
     कि अब किसी को खुदा कट्टर बेगुनाही ना दे

     - निखिल वर्मा


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