Friday, September 27, 2024

किष्किन्धा में पत्रकार राहुल

बाली की मृत्यु के बाद सुग्रीव राजा हो गये हैं। 
ऋष्यमूक पर्वत पर एक सभा हो रही है जहां प्रभु श्रीराम, अनुज लक्ष्मण, वानर राज सुग्रीव, युवराज अंगद, जामवंत और प्रभु के अनन्य भक्त हनुमान जी आपस में कुछ परिचर्चा कर रहे हैं।

तभी चश्मा लगाये पके बालों एवं अधपकी बुद्धि वाला एक ढीठ बुजुर्ग पत्रकार धिधियाते हुए पहुंचता है।

प्रभु कहते हैं - "इतनी शीघ्रता में कहां से आ रहे हैं राहुल जी?"
राहुल - "आपही से शिकायत करने दिल्ली से आया हूं।"
प्रभु - "कैसी शिकायत और किसकी?"
राहुल - "भाईजान! जम्हूरियत का क़त्ल हुआ है और क़ातिल और कोई नहीं आप ही हो।"
लक्ष्मण जी को क्रोध आया पर प्रभु ने इशारे से चुप कराया और प्रेम पूर्वक बोले - "क्या आपका अभिप्राय वानर राज बाली के वध से है?"
राहुल - "और नहीं तो क्या? तुमको किसने हक दिया उनका क़त्ल करने का?"
प्रभु - "किंतु मुनिवर वो अधर्मी था और अपने छोटे भाई की पत्नी पर कुदृष्टि रखता था, ऐसे अधर्मी को मारने में कैसा पाप?"
राहुल - "पाप-पुण्य बताने वाले तुम कौन होते हो? क्या तुम सुप्रीम कोर्ट हो? और अगर वो अधर्मी था जो इसका मतलब उसका धर्म तुम्हारे धर्म से अलग था, अर्थात् वो अल्पसंख्यक हुआ।
और संविधान धर्म को एक निजी विषय मानता है। उसकी जगह घर में है समाज में नहीं।
जम्हूरियत में सर्वमान्य सिद्धांत है कि धार्मिक अल्पसंख्यकों को विशेष संरक्षण दिया जाना चाहिए।"

लक्ष्मण जी की आंखें लाल हो चुकी थीं, अंगद ने गदा उठा लिया था।
प्रभु कुछ कहना ही चाहते थे तभी सुग्रीव ने पूछा - "हे पत्रकार महोदय, क्या आपको एक अधर्मी पापी का पक्ष लेते हुए कोई ग्लानि नहीं हो रही है?"
राहुल - "कोई ग्लानि नहीं। केवल मेरी नीति है। किसी का समर्थन नहीं करना है। सिर्फ़ प्रसंगानुसार समीक्षा।"
सुग्रीव ने फिर कहा - "किंतु महाशय, आप जब से आये हैं तभी से लगातार बाली का समर्थन किये जा रहे हैं, दूसरे पक्ष को सुनने तक को तैयार नहीं हैं। प्रतीत होता है कि बाली ने राजकीय कोष से पाल-पोस आपको पत्रकार बनाया था।"

ये सुनकर राहुल जी दुखी और आहत हो गये और क्रोध में बोले - "कोई माई का लाल बाली की प्रशंसा-समर्थन में मेरी कोई ट्वीट-टिप्पणी दिखा दे। फिर भी मूर्ख बाज नहीं आते। यह मानना ही लोगों के लिए असंभव हो गया है कि कोई ईमानदारी से अपक्षपाती हो सकता है। झूठे को यक़ीन नहीं होता कि कोई सच्चा भी हो सकता है। वह सबको अपनी ही तरह समझता है।"

अब तक अपार धैर्य से सबकुछ सुन रहे बूढ़े जामवंत का धैर्य जवाब दे गया और वो क्रुद्ध होकर चीखे - "पुत्र अंगद, धर सरवा के ई भागने ना पाये..."

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किष्किन्धा में पत्रकार राहुल

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